(Casino Online) - How To Play Casino Games Bet now and win bigger, Casino Game Link win big with our gambling platform. आए दिन शहरी सीमा में टाइगर के दिखने की खबरें सामने आ रही है। हाल ही में 30 लाख की आबादी वाले इंदौर जैसे बड़े शहर में टाइगर देखा गया था। करीब 20 से 25 दिनों बाद भी उसे रेस्क्यू नहीं किया जा सका है। मप्र की राजधानी भोपाल के कालियासोत में एक बाघिन अपने तीन शावकों के साथ दिखी है, जिसके बाद रहवासियों को मॉर्निंग और इवनिंग वॉक के लिए मना किया गया है। भोपाल के पास और भी कई इलाकों में टाइगर शहरी सीमा और गांव-कस्बों के आसपास नजर आते रहे हैं। दरअसल, लगातार घटता हैबिटाट एरिया और बढ़ते शहरीकरण ने वन्यजीवों (Wild life) को शहरों की तरफ धकेलना शुरू कर दिया है। हालात यह है कि आए दिन शहरी सीमा में बाघ सीसीटीवी कैमरों में नजर आए हैं। हालांकि वन्य जीव खासतौर से टाइगर के शहरों में नजर आने के पीछे कई वजहें हैं। इनमें खारा होता पानी, शिकार की कमी, वन्य जीवों का बूढ़ा हो जाना और नर बाघ का मादा बाघ की तलाश में वन से बाहर निकलना। लेकिन इनमें सबसे बड़ी वजह शहरीकरण की वजह से वन्यक्षेत्र का लगातार घटना है।
गुजरात के प्रसिद्ध कॉर्डियोलॉजिस्ट की हार्ट अटैक से मौत सुबह ड्यूटी पर जाते वक्त आया हार्ट अटैक 41 साल के फिट डॉक्टर की थम गई दिल की धड़कनें कम उम्र में डरा रही दिल के दौरे की घटनाएं Heart attack in india: कोरोना और वैक्सीन के बाद आम लोगों में हार्ट अटैक के मामलों ने पहले ही दहशत में डाल रखा है। ऐसे में अगर किसी कॉर्डियोलॉजिस्ट की हार्ट अटैक से मौत हो जाए तो यह और ज्यादा चौंकाने वाली घटना है। गुजरात में जामनगर में ऐसा ही चौंका देने वाला मामला आया है। जामनगर में रहने वाले सौराष्ट्र के नामी ह्दय रोग विशेषज्ञ डॉ. गौरव गांधी की हार्ट अटैक से मौत हो गई। 41 साल के गौरव गांधी को जामनगर समेत पूरे सौराष्ट्र क्षेत्र में ह्दय रोग विशेषज्ञ के तौर पर जाने जाते थे। How To Play Casino Games, राज कपूर की महत्वाकांक्षी फिल्म 'मेरा नाम जोकर' जब पिट गई तो उन्होंने नए कलाकारों को लेकर फिल्म बनाने का निश्चय किया। अपने बेटे ऋषि कपूर को 'बॉबी' के जरिये उन्होंने लांच किया और डिम्पल को हीरोइन के रूप में चुना। उस समय डिम्पल की उम्र मात्र 16 वर्ष थी। 3
उन्होंने कहा, पहला शतक लगाने के बाद मेरे लिए रास्ते खुल गए और हमेशा ऐसा ही होता है। पहला शतक जड़ने के बाद आप और शतक बनाते हो क्योंकि आप ऐसा कर चुके होते हो। टीम के साथियों के रूप में हम सभी को यह पता है।(भाषा) Casino Online Put Your Luck On The Line! win big with our gambling platform Jagannath Rath Yatra 2023: भारत के ओड़िसा राज्य के पुरी में भगवान श्री जगन्नाथ जी की रथ यात्रा का प्रतिवर्ष आयोजन होता है। प्रभु जगन्नाथ की रथ यात्रा कब, क्यों, कहां और कैसे निकाली जाती है यह देखने के लिए देश विदेश से हजारों भक्त आते हैं। हर कोई इस रथ यात्रा में भाग लेता है। आओ जानते हैं इस यात्रा की 10 खास बातें। 1. जगन्नाथ की रथ यात्रा कब निकाली जाती है? हर साल आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा निकाली जाती है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 20 जून 2023 को यह रथ यात्रा निकलेगी। 2. क्यों निकाली जाती है जगन्नाथ यात्रा? इस रथयात्रा का उद्देश्य यह है कि वे लोग, जो समूचे वर्षभर मंदिर में प्रवेश नहीं पा सकते हैं, उन्हें भगवान के दर्शन का सौभाग्य प्राप्त हो। राजा इन्द्रद्युम्न और उनकी पत्नी गुंडिचा देवी के काल में प्रभु जगन्नाथ की मूर्ति बनाने के लिए समुद्र से विशाल लाल वृक्ष का तना निकाला गया। विशालकाय तने को निकालकर उसे रथ के द्वारा उस स्थान पर लाया गया जहां पर श्री नीलमाधव की मूर्ति बनाई गई थी। मूर्तिकार की शर्त थी कि जब तक मूर्ति पूर्ण नहीं होती तब तक इसे कोई देखेगा नहीं अन्यथा मैं मूर्ति बनाना छोड़कर चला जाऊंगा। बनती हुए मूर्ति को रानी गुंडिचा द्वारा देखने के कारण मूर्ति अधूरी रह गई थी जिसके चलते रानी गुंडिचा नगर के बाहर गुफा में तपस्या करने चली गई। तप से प्रभावित होकर प्रतिवर्ष भगवान जगन्नाथ रानी गुंडिजा के मंदिर में रथ पर सवार होकर जाते हैं और वहां पर 10 दिनों तक विश्राम करके लौट आते हैं। 3. कैसे होता है रथों का निर्माण?
Yoga Yogasan : अनियमित भोजन और जीवन शैली के कारण शरीर बेडौल या मोटा हो जाता है। आसनों का मुख्य उद्देश्य शरीर से मल या दूषित विकारों के नष्ट करके चर्बी को घटना और शरीर को सुडौल बनाकर स्वस्थ रखना। यदि आपकी कमर और पेट लचकदार तथा संतुलित हैं तो स्फूर्ति और जोश तो कायम रहेगा ही साथ ही आप कई तरह के रोग से बच जाएंगे। जानिए किन 2 आसनों को करके आप आकर्षक दिखाई देंगे। 1. कटिचक्रासन :- Big and Small, वो खुदा ने भी जब मांगी होगी दुआ खैरियत किसी की
Put your Luck to the Test at the Online Casino! Casino Online दमोह में गंगा जमुना स्कूल में हिजाब से उठा विवाद अब सियासत का केंद्र बन गया है। भाजपा जहां पूरे मामले को धर्मांतरण और टेटर फंडिग से जोड़कर देख रही है तो दूसरी ओर कांग्रेस ने भाजपा पर जबरन विवाद को तूल देने का आरोप लगा रही है। राज्य के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी बयान देते हुए कहा कि ओरंगजैब की तारीफ करने वालों को माफी नहीं दी जाएगी। पुलिस इस मामले में कार्रवाई कर रही है।
इस साल 2023 की थीम food standard save lives निर्धारित की गई है। इस थीम के ज़रिए लोगों को अपने फूड स्टैण्डर्ड को बढ़ाना है जिसकी मदद से वो सुरक्षित और साफ़ खाना खा सकें। इस थीम के ज़रिए आपको हर फूड के इंग्रेडिएंट पढ़ने हैं। साथ ही आपको कुछ हाइजीन आदतों को भी अपनाना चाहिए जिससे बैक्टीरिया और वायरस जैसी बिमारियों का खतरा कम होगा। इसके साथ ही सरकार को भी फूड सेफ्टी के लिए कड़े कदम उठाने की ज़रूरत है। Casino Game Link, केएस भरत की अगर बात करें तो उन्होंने टेस्ट क्रिकेट में इस साल ही ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी में अपना पदार्पण किया था। वह एक भी बार बल्ले से खुद को साबित नहीं कर पाए थे। कुल 4 मैचों की इस सीरीज में वह 101 रन बना पाए थे। इसमें उनका सर्वश्रेष्ठ स्कोर 44 रन था।
कुंभ- कुंभ राशि वाले जातकों के लिए यह माह उत्तम रहेगा। आर्थिक विकास वाला रहेगा। व्यापार में अच्छी सफलता मिलेगी। नौकरी में अधिकारी वर्ग से सहयोग प्राप्त होगा, परंतु कृषि क्षेत्र में सामान्य सफलता मिलेगी। माता के स्वास्थ्य में सुधार होगा। संतान को रोजगार प्राप्त होगा। किसी मित्र से मुलाकात आर्थिक स्थिति को मजबूत करेगी। माह के अंत में अच्छा लाभ मिलेगा। दिनांक 10, 19 शुभ हैं, 4 अशुभ है। गुरु आराधना लाभप्रद रहेगी। Coin Dozer Casino Game इस वर्ष जून के महीने में बुधवार, 7 जून को आषाढ़ मास की संकष्टी गणेश चतुर्थी पड़ रही है। मान्यतानुसार इसे कृष्णपिङ्गल या कृष्णपिंगाक्ष संकष्टी चतुर्थी (Krishnapingal Sankashti Chaturthi 2023) के नाम से जाना जाता है। पुराणों के अनुसार पूर्णिमा के बाद आने वाली चतुर्थी को संकष्टी तथा अमावस्या के बाद की चतुर्थी को विनायकी के नाम से जाना जाता है। श्री गणेश विघ्नहर्ता है, अत: चतुर्थी के दिन भगवान उनका पूजन और व्रत किया जाता है। आइए जानते हैं आषाढ़ संकष्टी गणेश चतुर्थी के शुभ मुहूर्त और कथा- आषाढ़ संकष्टी चतुर्थी 2023 के शुभ मुहूर्त : कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी : बुधवार, 07 जून 2023 को चतुर्थी तिथि का प्रारंभ- 06 जून, मंगलवार को 12.50 ए एम से (देर रात) चतुर्थी तिथि का समापन- 07 जून, 2023 को 09.50 पी एम पर। बता दें कि इस बार संकष्टी चतुर्थी का समापन 09.50 पी एम पर हो रहा है तथा तत्पश्चात पंचमी तिथि लग जाएगी। अत: चतुर्थी तिथि के दौरान कोई चंद्रोदय नहीं है। वैसे संकष्टी के दिन चंद्रोदय का समय- 10.50 पी एम पड़ रहा है। 7जून 2023, बुधवार : दिन का चौघड़िया लाभ- 05.23 ए एम से 07.07 ए एम अमृत- 07.07 ए एम से 08.51 ए एम शुभ- 10.36 ए एम से 12.20 पी एम चर- 03.49 पी एम से 05.33 पी एम लाभ- 05.33 पी एम से 07.17 पी एम रात्रि का चौघड़िया शुभ- 08.33 पी एम से 09.49 पी एम अमृत- 09.49 पी एम से 11.04 पी एम चर- 11.04 पी एम से 08 जून को 12.20 ए एम तक, लाभ- 02.51 ए एम से 08 जून को 04.07 ए एम तक। आषाढ़ चतुर्थी व्रत कथा-Ashadh Chaturthi Vrat Katha आषाढ़ मास की चतुर्थी व्रत की कथा के अनुसार द्वापर युग में महिष्मति नगरी का महीजित नामक राजा था। वह बड़ा ही पुण्यशील और प्रतापी राजा था। वह अपनी प्रजा का पालन पुत्रवत करता था। किन्तु संतानविहीन होने के कारण उसे राजमहल का वैभव अच्छा नहीं लगता था। वेदों में निसंतान का जीवन व्यर्थ माना गया हैं। यदि संतानविहीन व्यक्ति अपने पितरों को जल दान देता हैं तो उसके पितृगण उस जल को गरम जल के रूप में ग्रहण करते हैं। इसी उहापोह में राजा का बहुत समय व्यतीत हो गया। उन्होंने पुत्र प्राप्ति के लिए बहुत से दान, यज्ञ आदि कार्य किए। फिर भी राज को पुत्रोत्पत्ति न हुई। जवानी ढल गई और बुढ़ापा आ गया किंतु वंश वृद्धि न हुई। तदनंतर राजा ने विद्वान ब्राह्मणों और प्रजाजनों से इस संदर्भ में परामर्श किया। राजा ने कहा कि हे ब्राह्मणों तथा प्रजाजनों! हम तो संतानहीन हो गए, अब मेरी क्या गति होगी? मैंने जीवन में तो किंचित भी पाप कर्म नहीं किया। मैंने कभी अत्याचार द्वारा धन संग्रह नहीं किया। मैंने तो सदैव प्रजा का पुत्रवत पालन किया तथा धर्माचरण द्वारा ही पृथ्वी शासन किया। मैंने चोर-डाकुओं को दंडित किया। इष्ट मित्रों के भोजन की व्यवस्था की, गौ, ब्राह्मणों का हित चिंतन करते हुए शिष्ट पुरुषों का आदर सत्कार किया। फिर भी मुझे अब तक पुत्र न होने का क्या कारण हैं? विद्वान् ब्राह्मणों ने कहा कि, हे महाराज! हम लोग वैसा ही प्रयत्न करेंगे जिससे आपके वंश कि वृद्धि हो। इस प्रकार कहकर सब लोग युक्ति सोचने लगे। सारी प्रजा राजा के मनोरथ की सिद्धि के लिए ब्राह्मणों के साथ वन में चली गई। वन में उन लोगों को एक श्रेष्ठ मुनि के दर्शन हुए। वे मुनिराज निराहार रहकर तपस्या में लीन थे। ब्रह्माजी के सामान वे आत्मजित, क्रोधजित तथा सनातन पुरुष थे। संपूर्ण वेद-विशारद एवं अनेक ब्रह्म ज्ञान संपन्न वे महात्मा थे। उनका निर्मल नाम लोमश ऋषि था। प्रत्येक कल्पांत में उनके एक-एक रोम पतित होते थे। इसलिए उनका नाम लोमश ऋषि पड़ गया। ऐसे त्रिकालदर्शी महर्षि लोमेश के उन लोगों ने दर्शन किए। सब लोग उन तेजस्वी मुनि के पास गए। उचित अभ्यर्थना एवं प्रणामदि के अनंतर सभी लोग उनके समक्ष खड़े हो गए। मुनि के दर्शन से सभी लोग प्रसन्न होकर परस्पर कहने लगे कि हम लोगों को सौभाग्य से ही ऐसे मुनि के दर्शन हुए। इनके उपदेश से हम सभी का मंगल होगा, ऐसा निश्चय कर उन लोगों ने मुनिराज से कहा। हे ब्रह्मऋषि! हम लोगों के दुःख का कारण सुनिए। अपने संदेह के निवारण के लिए हम लोग आपके पास आए हैं। हे भगवन! आप कोई उपाय बतलाइए। महर्षि लोमेश ने पूछा-सज्जनों! आप लोग यहां किस अभिप्राय से आए हैं? मुझसे आपका क्या प्रयोजन हैं? स्पष्ट रूप से कहिए। मैं आपके सभी संदेहों का निवारण करूंगा। प्रजाजनों ने उत्तर दिया- हे मुनिवर! हम महिष्मति नगरी के निवासी हैं। हमारे राजा का नाम महीजित है। वह राजा ब्राह्मणों का रक्षक, धर्मात्मा, दानवीर, शूरवीर एवं मधुरभाषी है। उस राजा ने हम लोगों का पालन पोषण किया है, परंतु ऐसे राज को आज तक संतान की प्राप्ति नहीं हुई। हे भगवान्! माता-पिता तो केवल जन्मदाता ही होते हैं, किंतु राज ही वास्तव में पोषक एवं संवर्धक होता हैं। उसी राजा के निमित हम लोग ऐसे गहन वन में आए है। हे महर्षि! आप कोई ऐसी युक्ति बताइए जिससे राजा को संतान की प्राप्ति हो, क्योंकि ऐसे गुणवान राजा को कोई पुत्र न हो, यह बड़े दुर्भाग्य की बात हैं। हम लोग परस्पर विचार-विमर्श करके इस गंभीर वन में आए हैं। उनके सौभाग्य से ही हम लोगों ने आपका दर्शन किया हैं। हे मुनिवर! किस व्रत, दान, पूजन आदि अनुष्ठान कराने से राजा को पुत्र होगा। आप कृपा करके हम सभी को बतलाएं। प्रजा की बात सुनकर महर्षि लोमेश ने कहा- हे भक्तजनो! आप लोग ध्यानपूर्वक सुनो। मैं संकटनाशन व्रत को बता रहा हूं। यह व्रत निसंतान को संतान और निर्धनों को धन देता हैं। आषाढ़ कृष्ण चतुर्थी को एकदंत गजानन नामक गणेश की पूजा करें। राजा व्रत करके श्रद्धायुक्त हो ब्राह्मण भोज करवाकर उन्हें वस्त्र दान करें। गणेश जी की कृपा से उन्हें अवश्य ही पुत्र की प्राप्ति होगी। महर्षि लोमश की यह बात सुनकर सभी लोग करबद्ध होकर उठ खड़े हुए। नतमस्तक होकर दंडवत प्रणाम करके सभी लोग नगर में लौट आए। वन में घटित सभी घटनाओं को प्रजाजनों ने राजा से बताया। प्रजाजनों की बात सुनकर राज बहुत ही प्रसन्न हुए और उन्होंने श्रद्धापूर्वक विधिवत गणेश चतुर्थी का व्रत करके ब्राह्मणों को भोजन वस्त्रादि का दान दिया। रानी सुदक्षिणा को श्री गणेश जी कृपा से सुंदर और सुलक्षण पुत्र प्राप्त हुआ। श्रीकृष्ण जी कहते हैं इस व्रत का ऐसा ही प्रभाव हैं। अत: जो व्यक्ति इस व्रत को श्रद्धापूर्वक करेंगे वे समस्त सांसारिक सुख के अधिकारी होंगे तथा उनका घर हमेशा खुशियों से भरापूरा रहेगा।